Maharana Pratap Poem

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Maharana Pratap

Maharana Pratap Poem

धन्य हुआ रे राजस्थान,जो जन्म लिया यहां प्रताप ने।
धन्य हुआ रे सारा मेवाड़, जहां कदम रखे थे प्रताप ने॥

फीका पड़ा था तेज़ सुरज का, जब माथा उन्चा तु करता था।
फीकी हुई बिजली की चमक, जब-जब आंख खोली प्रताप ने॥

जब-जब तेरी तलवार उठी, तो दुश्मन टोली डोल गयी।
फीकी पड़ी दहाड़ शेर की, जब-जब तुने हुंकार भरी॥

था साथी तेरा घोड़ा चेतक, जिस पर तु सवारी करता था।
थी तुझमे कोई खास बात, कि अकबर तुझसे डरता था॥

हर मां कि ये ख्वाहिश है, कि एक प्रताप वो भी पैदा करे।
देख के उसकी शक्ती को, हर दुशमन उससे डरा करे॥

करता हुं नमन मै प्रताप को,जो वीरता का प्रतीक है।
तु लोह-पुरुष तु मातॄ-भक्त,तु अखण्डता का प्रतीक है॥

हे प्रताप मुझे तु शक्ती दे,दुश्मन को मै भी हराऊंगा।
मै हु तेरा एक अनुयायी,दुश्मन को मार भगाऊंगा॥

है धर्म हर हिन्दुस्तानी का,कि तेरे जैसा बनने का।
चलना है अब तो उसी मार्ग,जो मार्ग दिखाया प्रताप ने॥

"माई ऐडा पूत जण जैडा राणा प्रताप
अकबर सोतो उज के जाण सिराणे साँप"

"चार बांस चौबीस गज, अष्ट अंगुल प्रमाण
ता ऊपर सुलतान है, मत चूके चौहान"

"बलहट बँका देवड़ा, करतब बँका गौड़
हाडा बँका गाढ़ में, रण बँका राठौड़"

Read Also ⇒ Maharana Pratap Life History

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  1. Ratan Lal TiwariAugust 22, 2016

    Aapne ek chitra me dikhaya he ki Maharana Pratap ek mugal sardar par aakarman karte hue ek hi war me use wa uske ghode ko aadhe tak chirt diya h ,,,,, kripya is ghatna ke bare me vistar se batayen.

    Ratan lal Tiwari
    Beawar.

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