Rajput |
The Great Warrior Of Rajputana
The Rajputs (राजपूत)
पंजाब तक मुश्लिम शाशन के बावजूद, राजपूतो ने उत्तर में भारत के दिल पर कब्ज़ा कर लिया था | राजपूतो (राजा का पुत्र) ने मुस्लिमो के आने से पहले सामन्ती शाशको का चरण भी बहुत साहस और बहादुरी के साथ पूरा किया था | राजपूतो के दिग्गज योद्धा राजपूत वंशावली की उत्पत्ति बाप्पा रावल से मानते है | बाप्पा रावल एक दिग्गज संस्थापक था, जो 8 वी सदी में रहता था | वास्तव में हालाँकि राजपूत हिन्दू जाती में क्षत्रिय थे लेकिन आनुवंशिक रूप से शक और हूणों के वंशज माने जाते है | जिन्होंने (शक और हुंण) गुप्त अवधी के दौरान उत्तर भारत पर हमला किया था, और बाद में उत्तर भारत में ही बस गए थे | और उनके युद्ध के आक्रामक व्यव्हार के कारण हिन्दू समाज में क्षत्रिय के रूप में घुल मिल गए | जब पहली बार 12th शताब्दी में मुस्लिम शाशक भारत के दिल उत्तर में आये थे तब इन्होने (क्षत्रियो ने) ही मोर्चा सम्भाला था |Read Also ⇒ The Great Warrior of Rajputana Part 2
राजपूत जो की 10 वी सदी के अंत तक मुख्य तोर पर स्थानीय सामन्त थे जो गुर्जर प्रतिहारो के लिए राजस्व इकट्टा करने का काम करते थे | बाद में जब गजनवी साम्राज्य का तूफान थम गया तब राजपूतो ने स्वतंत्र शाशक के रूप में गुर्जर प्रतिहारो के साम्राजय पर कब्ज़ा कर लिया | 11 वी तथा 12 वी शताब्दी में राजपूतो के मुख्य साम्राज्य पूर्वी पंजाब में कहमना (चौहान), उत्तर में राजस्थान और दिल्ली, गंगा घाटी (वर्तमान में उत्तर प्रदेश) में गहड़वाल (राठोड), मध्य भारत में परमार, ग्वालियर में तोमर थे | इनमे सबसे शक्तिशाली साम्राज्य चौहान और राठोड के थे | लेकिन दुर्भाग्य से दोनों हमेशा युद्ध की स्थति में रहते थे, जब 1191 ईस्वी में मुस्लिम हमलावर फिर से दिखाई देने लगे |
The Gahadavalas (Rathods) (गहड़वाल राठोड)
11 वी शताब्दी में, मुहम्मद ग़ज़नी के युग के बाद, सबसे शक्तिशाली हिन्दू साम्राज्य उत्तर भारत में राजपूत वंश के गहड़वाल और राठोड वंश के साम्राज्य थे | गहड़वाल वंश के संस्थापक गोविंदचंद्र गहड़वाल थे | गोविंदचंद्र गहड़वाल एक चतुर शाशक थे तथा इन्होने कन्नौज से शाशन किया था | उत्तर भारत का बहुत बड़ा भाग तथा नालंदा यूनिवर्सिटी टाउन भी इनके राज्य में थे | इन्होने मुस्लिम गुसपैठ का बखूबी जवाब दिया, तथा मुस्लिम गुसपैठ को रोका | इन्होने तुर्कियों से लड़ने के लिए तुरुष्का कर शुरू किया था | इनके पोते का नाम जयचंद्र गहड़वाल (राठोड) था | जयचंद्र गहड़वाल की भारतीय इतिहास में दुखद भूमिका थी |The Story of Prithviraj Chouhan and Muhammad Ghori (पृथ्वीराज चौहान और मोहम्मद गौरी की कहानी)
Prithviraj Chauhan |
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Prithviraj's Love for Sanyogita - Jaichandra's Daughter (जयचंद्र की बेटी संयोगिता और पृथ्वीराज का प्यार)
पृथ्वीराज के निडर कारनामो की कहानी देश में दूर दूर तक फैलने लगी | देश में हो रही चर्चाओं में पृथ्वीराज चौहान चर्चा का मुख्य केंद्र था | संयोगिता, जो की जयचंद्र गहड़वाल की पुत्री थी वो पृथ्वीराज चौहान से प्यार करने लगी थी | संयोगिता और पृथ्वीराज चौहान के बीच गुप्त पत्राचार शुरू हो गया था | जब संयोगिता के पिता अभिमानी जयचंद्र गहड़वाल को यह खबर पता लगी तो, जयचंद्र ने उसकी बेटी और उसके प्रेमी पृथ्वीराज चौहान को सबक सिखाने का फैसला लिया | इसलिए एक स्वयंवर (एक समारोह जहां दुल्हन अपनी पसंद का दूल्हा वहा इकट्टा हुए दुल्लो में से चुन सकती है, राजकुमार पसंद आने पर राजकुमारी राजकुमार के गले में माला पहनती है, यह एक शाही हिन्दू रिवाज है) का आयोजन किया गया | जयचंद्र ने कन्नौज से सभी छोटे बड़े राजकुमारों को इस शाही स्वंयवर के लिए बुलाया | लेकिन जयचंद्र ने पृथ्वीराज को नहीं बुलाया |तथा पृथ्वीराज चौहान का अपमान करने के लिए जयचंद्र ने पृथ्वीराज चौहान की मूर्ति बनकर उसे द्वारपाल बना कर दरवाजे पर खड़ा कर दिया |
The Elopement of Sanyogita with Prithviraj (संयोगिता का हमेशा के लिए पृथ्वीराज चौहान का हो जाना)
पृथ्वीराज को इस बात का पता लगा तो उसने अपने प्रेमी के साथ मिलकर योजनाएं बनना शुरू कर दिया |Prithviraj Chauhan with Sanyogita |
पृथ्वीराज चौहान भी वही मौजूद थे और वे अपनी ही मूर्ति के पीछे छिपे हुए थे | पृथ्वीराज मूर्ति के पीछे से निकलकर आगे आये और संयोगिया को उठाया और अपने घोड़े पर बिठाया और दिल्ली के लिए निकल पड़े |
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चौहान और राठोड के बीच युद्ध दोनों ही राज्यों के लिए घातक था |
जयचंद्र और उसकी सीना ने पृथ्वीराज का पीछा किया | दोनों ही वंश के बीच पड़ी इस खटास के कारण दोनों राज्यों के बीच 1189 और 1190 में युद्ध लड़ा गया | और दोनों राज्यों को बहुत नुकसान हुआ | जब यह सब कुछ चल रहा था, तब एक दूसरा मुस्लिम शाशक जिसका नाम मोहम्मद था, जो अफ़ग़ानिस्तान के गौरी का रहने वाला था, वह धीरे धीरे शक्तिशाली होने लगा | मोहम्मद गौरी ने ग़ज़नी पर कब्ज़ा कर लिया और पंजाब के ग़ज़नी गवर्नर पर हमला कर दिया | इस तरह मोहम्मद गौरी का राज्य पृथ्वीराज चौहान के राज्य तक पहुंच गया |
BINA RAJPUTO ME KARAYE FOOT YE MUSALMAN HINDUSTAN KA EK TINKA BHI NAI CHHU PATE YE HAMARE BADNSIBI THI KI HUM RAJPUTO KE BICH FOOT NAI KARANE ME SAFAL NAI HO PATE
ReplyDeleteRAJPUT :-A SON OF RAJPUT NEVER SARENDOR
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